शनिवार, 8 अप्रैल 2017

जो घर बारे आपना-(साधना-शिविर)-प्रवचन-06



जो घर बारे आपना-(साधना-शिविर)

ओशो
प्रवचन-छट्ठवां-(यही है मार्ग प्रभु का)

मेरे प्रिय आत्मन्!
इसके पहले कि हम ध्यान के प्रयोग में संलग्न हों, एक-दो बातें आपसे कह देनी उचित हैं। आज शिविर का आखिरी दिन है। दो दिनों में बहुत से मित्रों ने पर्याप्त संकल्प का प्रमाण दिया है। शायद थोड़े से ही लोग हैं जो पीछे रह गए हैं। आशा करता हूं कि आज वे भी पीछे नहीं रह जाएंगे। एक-दो मित्र ऐसी स्थिति में आ गए हैं कि आपको परेशानी मालूम पड़ी होगी। लेकिन उससे परेशान न हों। मनुष्य के भीतर नई शक्तियों का जन्म होता है तो सब अस्तव्यस्त और अराजक हो जाता है। इसके पहले कि नई व्यवस्था उपलब्ध हो, बीच में एक संक्रमण का समय होता है, तब करीब-करीब उन्माद की अवस्था जैसी मालूम पड़ती है। लेकिन वह उन्माद नहीं है, वह शिविर के साथ ही विदा हो जाएगा। उससे कोई चिंता न लें।

शरीर के भीतर कुंडलिनी का जागरण होता है, तो भी अभूतपूर्व घटनाएं घटने लगती हैं। कुछ चीजें दिखाई पड़ने लगती हैं, कुछ अनुभव में आने लगता है, जो बाकी के अनुभव में नहीं होता। तो जिस व्यक्ति को वह होने लगता है, उसे समझने में हमें कठिनाई हो जाती है। साधना शिविर में याद रखना जरूरी है कि किसी को कुछ भी हो सकता है।
अब एक मित्र पूरे समय वर्षा में बैठे हुए हैं। अब उनके भीतर इतनी तीव्रता से कुंडलिनी का जागरण हो रहा है कि लग रहा है कि किसी तरह ठंड में बैठे रहें, ठंडक में बैठे रहें। भीतर उन्हें जलती हुई आग, पिघलती हुई आग उठती हुई मालूम पड़ रही है। वह हमारा अनुभव नहीं है, इसलिए हमारे लिए कठिनाई हो जाएगी।
एक मित्र बिजली के खंभे पर चढ़ने की रात भर कोशिश किए हैं। भीतर जब कुंडलिनी का जोर से आघात होता है तो ऐसा लगता है कि कैसे हम ऊपर चले जाएं। उस वक्त कुछ भी स्मरण नहीं आता, यही खयाल आता है: कैसे हम ऊपर चले जाएं। वह बिजली के खंभे पर भी चढ़ने की कोशिश उससे पैदा हो सकती है। इसकी चिंता आप नहीं लेंगे। इसमें चिंतित होने का कुछ भी कारण नहीं है। यह शिविर के साथ ही उनकी सारी बात शांत हो जाएगी।
हां, अगर इसे रोका तो कठिनाई हो सकती है। इसलिए कोई इनको रोकने में सहयोगी न बने, इनको साथ देने में सहयोगी बने।
वर्षा आ जाए तो फिक्र नहीं करेंगे। आपके लिए आनंदपूर्ण ही होगा। जब पूरा शरीर हरकत करेगा, तो वर्षा आनंदपूर्ण होगी, उससे कोई चिंता नहीं लेंगे। कोई आदमी जाएगा नहीं।
और दोत्तीन प्रश्न हैं, वे मैं सांझ को ले लूंगा। अभी तो इतना ही आपसे कहना है कि आज अपनी पूरी शक्ति लगा देनी है, कोई अंश बाकी न रह जाए।
हम चालीस मिनट के लिए आंख बंद कर लें। यह हमारा पहला संकल्प हुआ। अब यह आंख चालीस मिनट तक नहीं खुलेगी। जब तक मैं आपको नहीं कहता हूं, आंख बंद ही रहेगी। और वर्षा से भयभीत न होंगे। वर्षा सुखद ही होगी। भीतर भी एक वर्षा होनी है, बाहर भी एक वर्षा होगी। कठिनाई नहीं है।
हाथ जोड़ लें और परमात्मा के सामने संकल्प कर लें। आज आखिरी दिन है, अपने संकल्प का स्मरण रखें और पूरी तरह होने दें। मैं प्रभु को साक्षी रख कर संकल्प करता हूं कि ध्यान में अपनी पूरी शक्ति लगाऊंगा। मैं प्रभु को साक्षी रख कर संकल्प करता हूं कि ध्यान में अपनी पूरी शक्ति लगाऊंगा। मैं प्रभु को साक्षी रख कर संकल्प करता हूं कि ध्यान में अपनी पूरी शक्ति लगाऊंगा। आप अपने संकल्प का स्मरण रखें, प्रभु आपके संकल्प का स्मरण रखेगा। अब पहला चरण शुरू करें।

जोर से...जोर से...पूरी शक्ति लगा देनी है...
देखें, आंख खोल कर बीच में न खड़े रहें। कोई व्यक्ति आंख खोल कर बीच में नहीं खड़ा रहेगा, अन्यथा उसे निकाल बाहर कर दिया जाएगा।
पूरी शक्ति लगा दें...जोर से, तीव्र, तीव्र...श्वास को बाहर फेंकें, भीतर ले जाएं...जोर से, जोर से...पूरी ताकत लगा दें, पूरी ताकत लगा दें...जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से...पूरी शक्ति लगा दें...जोर से, जोर से, जोर से...
वर्षा सहयोगी बनेगी, ताकत पूरी लगाएं...आनंद से भर जाएं और श्वास लें...ताकत पूरी लगाएं, वर्षा सहयोगी होगी, जोर से श्वास लें, जोर से छोड़ें...तीव्रता से, तीव्रता से, तीव्रता से...जोर से...अपनी जगह पर, अपनी जगह से न हटें...जोर से, जोर से...शक्ति जागेगी, उसको जगने दें...जोर से चोट करें...श्वास की चोट जोर से करें...
बहुत ठीक! बहुत ठीक! आठ मिनट बाकी हैं, पूरी ताकत लगाएं, फिर हम दूसरे चरण में प्रवेश करें...जोर से, जोर से, जोर से...पूरी शक्ति लगा देनी है...
बहुत ठीक! बहुत ठीक! चिंता न करें, जोर से ताकत लगाएं, शक्ति जाग रही है...शरीर डोलेगा, नाचेगा, नाचने दें...जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से, जोर से... शक्ति को जगाएं, आनंद से शक्ति को जगाएं, जोर से चोट करें...नाचें, कूदें, शक्ति को जगाएं...गहरी श्वास लें...जोर से...जोर से...
बिलकुल ठीक! बिलकुल ठीक! ताकत पूरी लगा दें...जोर से, जोर से, जोर से...छह मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, शरीर की बिजली को पूरा जगा लेना है...चोट करें...जोर से...कोई पीछे न रह जाए, पीछे न रह जाए, वर्षा सहयोगी होगी, ताकत पूरी लगाएं...आनंद से नाचें, कूदें, गहरी श्वास लें...
बहुत ठीक! बहुत ठीक! बहुत ठीक! जोर से, जोर से, जोर से, जोर से...पांच मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, शक्ति को जगा लें, फिर हम दूसरे चरण में प्रवेश करें...जोर से, जोर से...तीव्रता से श्वास लें...गहरी चोट करें...जैसे लोहार धौंकनी चलाता है वैसे फेफड़ों को खाली करें...
बहुत ठीक! नाचें, कूदें, गहरी श्वास लें...शक्ति जाग गई है, पूरी कोशिश करें... दो-चार लोग खड़े रह गए हैं, वे भी कोशिश करें, पीछे न रह जाएं...कोई पीछे न रह जाए, अपनी फिक्र करें, जोर से ताकत लगा दें...
बहुत ठीक! बहुत ठीक! ताकत लगाएं...शक्ति जाग रही है, पूरा शरीर बिजली से भर जाएगा...शरीर को डोलने दें, जोर से डोलने दें, आप गहरी श्वास लें...जोर से...तीव्र श्वास...कोई खड़ा न रह जाए, गहरी चोट करें...आनंद से चोट करें...चोट करें...
तीन मिनट बचे हैं, पूरी चोट करें, फिर हम दूसरे चरण में प्रवेश करेंगे...अपनी जगह पर, अपनी जगह से न हटें--अपनी जगह पर नाचें, कूदें, गहरी श्वास लें...देखें, कोई पीछे न रह जाए, केवल तीन मिनट बचे हैं, पूरी चोट करें...जोर से...शक्ति को जगाएं...कुंडलिनी जाग रही है, चोट जोर से करें...
दो मिनट बचे हैं, पूरी चोट पहुंचा दें, फिर मैं कहूंगा एक, दो, तीन, तब आप सारी शक्ति लगा दें...एक! लगाएं पूरी ताकत...दो! पूरी ताकत लगाएं...तीन! पूरी ताकत लगाएं, एक मिनट के लिए पूरी ताकत लगा दें...शक्ति को जगा लें, दूसरे चरण में काम पड़ेगी...पूरी तरह जगाएं, रोएं-रोएं को शक्ति से भर जाने दें...
बहुत ठीक! बहुत ठीक! तेज, और तेज...कुछ सेकेंड की बात है, पूरी ताकत लगाएं... कुछ सेकेंड पूरी ताकत लगाएं, फिर हम दूसरे चरण में प्रवेश करते हैं...नाचें, डोलें, गहरी श्वास लें...
ठीक! बिलकुल ठीक! तेज...और तेज...और तेज...

अब दूसरे चरण में प्रवेश कर जाएं। अब शरीर को जो करना है, पूरी ताकत से करने दें। नाचना है, पूरी ताकत से नाचें; चिल्लाना है, चिल्लाएं; हंसना है, हंसें; रोना है, रोएं...दस मिनट के लिए पूरी ताकत से करें जो भी करना है...जोर से...पूरी ताकत लगाएं...कोई पीछे न रह जाए...आनंद से नाचें, चिल्लाएं, हंसें, रोएं...नाचें, चिल्लाएं, रोएं, हंसें, पूरी ताकत से...शक्ति जाग गई है, उसे काम करने दें...शरीर जो भी कर रहा है, करने दें...
जोर से, जोर से...कोई पीछे न रह जाए, जो भी करना है, जोर से करें...चिल्लाते हैं, जोर से चिल्लाएं, पूरी ताकत से चीख मारें...चीखें, चीखें, पूरी हुंकार से चीख मारें...चीखें, चीखें, जोर से चीखें, पूरी ताकत लगा दें...जोर से...जोर से हंसें, खिलखिला कर हंसें, पूरे वातावरण को हंसी से भर दें...खिलखिला कर हंसें, पूरी ताकत लगा दें...हंसें, हंसें, हंसें, जोर से हंसें...बिलकुल पागल होकर हंसें, बिलकुल पागल होकर...
नाचें, नाचें, पूरी तरह नाचें...नाचें, नाचें, पूरी तरह नाचें...चार मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, फिर हम तीसरे चरण में प्रवेश करें...जोर से, जोर से...जो भी कर रहे हैं, जोर से करें...नाचें, नाचें, नाचें, हंसें, चिल्लाएं, जोर से...ताकत पूरी लगा दें...
कोई पीछे न रह जाए...देखें, पड़ोसी से आगे बढ़ें, जोर से ताकत लगाएं...तीन मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, फिर हम तीसरे चरण में प्रवेश करें...नाचें, नाचें, नाचें, नाचें, नाचें, नाचें, नाचें, नाचें, नाचें...पड़ोसी से पीछे न रह जाएं, पूरी ताकत लगाएं...
बहुत ठीक! दो मिनट बचे हैं, आगे बढ़ें, बिलकुल तूफान उठा दें...पागल हो जाएं, तूफान उठा दें...एक! पूरी ताकत लगाएं...दो! पूरी ताकत लगाएं...तीन! पूरी ताकत लगाएं...एक मिनट की बात है...एक मिनट की बात है, ताकत पूरी लगा दें, फिर हम तीसरे चरण में प्रवेश करें...ताकत पूरी लगाएं...एक मिनट की बात है, पूरी ताकत लगाएं...पूरी ताकत लगाएं, बिलकुल तूफान उठा दें...हंसें जोर से...चिल्लाएं जोर से...नाचें जोर से...

अब तीसरे चरण में प्रवेश करें। पूछें--मैं कौन हूं? नाचना जारी रखें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...नाचें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...दस मिनट के लिए भीतर पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...नाचें, नाचें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...नाचें और पूछें, नाचें और पूछें--मैं कौन हूं?...जोर से, जोर से, जोर से...बाहर निकल जाए आवाज, फिक्र न करें...मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...
आठ मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, फिर हम विश्राम में जाएंगे...कोई पीछे न रह जाए, पूरी ताकत लगाएं, पूरी ताकत लगाएं--कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...नाचें, नाचें, पूछें, बाहर भी आवाज निकले, फिक्र न करें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...जोर से, जोर से, जोर से...पूछें--मैं कौन हूं?...नाचें, पूछें...छह मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं...मैं कौन हूं?...
बहुत ठीक! क्षण आ रहा है करीब, पूरी ताकत लगा दें...मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...पांच मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं, फिर हम विश्राम में जाएंगे...जोर से, जोर से...पूरी ताकत से पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...जोर से, जोर से...नाचें...चार मिनट बचे हैं, पूरी ताकत लगाएं...तूफान उठा दें, पागल हो जाएं...मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...जोर से...
तीन मिनट बचे हैं, नाचें, उछलें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...तूफान ले आएं, दो मिनट बचे हैं, पूछें--मैं कौन हूं?...पड़ोसी से पीछे न रह जाएं, पूरी ताकत लगाएं...मैं कौन हूं?...केवल दो मिनट की बात है...एक! पूरी ताकत लगाएं... नाचें, चीखें, पूछें--मैं कौन हूं?...दो! पूरी ताकत लगाएं...तीन! पूरी ताकत लगाएं, एक मिनट के लिए बिलकुल पागल हो जाएं...रोकें मत, पूरी ताकत लगा दें...मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...पूरे क्लाइमेक्स पर, पूरे चरम पर आ जाएं, पूरी ताकत लगा दें...कुछ सेकेंड की बात है, पूरी ताकत लगा कर नाचें, कूदें, पूछें--मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं? मैं कौन हूं?...

बस अब ठहर जाएं, अब दस मिनट के लिए चौथे चरण में चले जाएं। सब छोड़ दें। नाचना, कूदना, चिल्लाना, पूछना, सब छोड़ दें। जो जहां है, वैसा ही रह जाए। सब छोड़ दें। दस मिनट के लिए जैसे मर ही गए। दस मिनट के लिए जैसे मर ही गए। शून्य में उतर जाएं। भीतर देखें। सब चुप, सब मौन हो गया है।
सब छोड़ दें, सब छोड़ दें। भीतर देखें, भीतर देखें। प्रकाश ही प्रकाश भर जाएगा। भीतर देखें। प्रकाश ही प्रकाश, अनंत प्रकाश भर गया है। आनंद की वर्षा भीतर होने लगेगी। भीतर देखें। भीतर आनंद ही आनंद बरस जाएगा। प्रकाश ही प्रकाश, आनंद ही आनंद, आनंद ही आनंद, प्रकाश ही प्रकाश शेष रह जाता है। भीतर, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, साक्षी बन जाएं। प्रकाश ही प्रकाश, आनंद ही आनंद शेष रह जाता है।
यही है द्वार प्रभु का। यही है मार्ग प्रभु का। इसे ठीक से पहचान लें। इसे रोज गहरा करते जाएं। धीरे-धीरे चौबीस घंटे यह प्रकाश भीतर रहने लगेगा। यह आनंद भीतर रहने लगेगा। इसका स्वाद ठीक से ले लें। इस आनंद को रोएं-रोएं में भर जाने दें। इस प्रकाश को रोएं-रोएं में भर जाने दें। इसमें डूब जाएं, नहा लें, इसके साथ एक हो जाएं।
देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें, भीतर देखें। आनंद ही आनंद, प्रकाश ही प्रकाश शेष रह गया है। यह आनंद रोज गहरा होता जाएगा। यह प्रकाश रोज गहरा होता जाएगा। यह अनंत प्रकाश, यह अनंत आनंद चारों तरफ घेर लेगा, सब तरफ डूब जाएंगे, यही-यही रह जाएगा, आप मिट जाएंगे।

अब दोनों हाथ जोड़ लें, सिर झुका लें, उस परमात्मा को धन्यवाद दे दें। उसकी अनुकंपा अपार है! उसके चरणों में सिर रख दें, उसके अज्ञात चरणों में झुक जाएं। दोनों हाथ जोड़ लें, सिर झुका लें, उसे धन्यवाद दे दें। उसकी अनुकंपा अपार है! चारों ओर उसकी अनुकंपा बरस रही है। रोएं-रोएं से उसकी अनुकंपा भीतर प्रवेश कर रही है। धन्यवाद दे दें, धन्यवाद दे दें, उसकी अनुकंपा रोज गहरी होती जाएगी। उसकी अनुकंपा चारों ओर से बरस रही है। वही है चारों ओर। उसकी अनुकंपा का सागर है, उसको चारों ओर से भीतर प्रवेश कर जाने दें। हाथ जोड़ लें, सिर झुका लें, उसके चरणों में समर्पित होकर पड़े रह जाएं।

अब धीरे-धीरे दोनों हाथ अपनी आंखों पर रख लें, दो-चार गहरी श्वास लें, फिर धीरे-धीरे आंख खोलें। दो-चार गहरी श्वास लें, फिर धीरे-धीरे आंख खोलें। आंख न खुलती हो तो और दो-चार गहरी श्वास लें, फिर आंख खोलें। जो गिर गए हैं, वे भी दो-चार गहरी श्वास लें, फिर धीरे-धीरे उठ आएं, अपनी जगह पर बैठ जाएं। जो गिर गए हैं, वे भी उठ आएं। धीरे-धीरे दो-चार गहरी श्वास लें, फिर अपनी जगह पर बैठ जाएं।

आज इतना ही।

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