अनंत भजनों का फल : सुरित-प्रवचन-दसवां
दिनांक 30 जूलाई 1977, ओशो आश्रम पूना।
प्रश्नसार:
1-क्या भजन जब पूरा हो जाता है, तब जो शेष रह जाता है, वही सुरति है?
2-रामकृष्ण परमहंस अपने संन्यासियों को कामिनी और कांचन से दूर रहने के लिए सतत चेताते रहते थे। आप प्रगाढ़ता से भोगने को कहते हैं। इस फर्क का कारण क्या है?
3-जहां ज्ञानी मुक्ति या मोक्ष की महिमा बखानते हैं, वहां भक्त उत्सव और आनंद के गीत गाते हैं। ऐसा क्यों है?
4-आपने कहा कि तुम जो भी करोगे गलत ही करोगे, क्योंकि तुम गलत हो। ऐसी स्थिति में आप हमें साफ-साफ क्यों नहीं बताते कि हम क्या करें?