बुधवार, 9 मई 2018

मा आनंद सीता के गीत-01

01-क्या तुम वहीं हो?
जिसकी मुझे तलाश थी क्या तुम वहीं हो?
जिसकी थी प्यास प्राणों में क्या तुम वहीं हो?

व्याकुल हो नैन जब मेरे, उठते थे चाहूं ओर
मुझको खबर न थी किसकी तलाश थी उन्हें
क्या तुम वहीं हो?

झंझावत मेरे प्राणों में उठता था जब कभी
हैरान हो में देखती थी यहां वहां तभी
प्राणों में जिसकी तडप थी
क्या तुम हो वहीं ?

देखा तुझे कुछ हिल गया सुनते चकित रही
अंतस पे छा गया है तेरा बोलना वहीं
अब पूछती हूं अपने से ओर तुझसे भी वहीं
क्या तुम वहीं हो वहीं?
बोलो, जवाब दो प्रभु,
क्या तुम हो वहीं?
(11 मई 1973, नरोपा बंबई)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें