उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो
आनंद स्वभाव है-(प्रवचन-छटवां)
दिनांक 06 जनवरी सन् 1979 ओशो आश्रम पूना।
प्रश्नसार:
प भगवान, कभी सोचा भी नहीं था कि जीवन इतना स्वाभाविकता से, आनंदपूर्ण
जीया जा
सकता है!
शाम को गायन-समूह में इतनी नृत्यपूर्ण हो जाती हूं! जिस जीवन की खोज थी मुझे,
वह मिलता
जा रहा है। कहां थी--और कहां ले जा रहे हैं आप!
जितना
अनुग्रह मानूं उतना कम है। ऐसा प्यार बहा रहे हो भगवान, चरणों
में झुकी जाती हूं मैं!
प भगवान, आप अमृत दे रहे हैं और अंधे लोग आपको जहर पिलाने पर आमादा हैं।
यह कैसा
अन्याय है?
प भगवान, कोकिल की कुहू-कुहू और आपका प्रवचन, दोनों इकट्ठे
चलते हैं।
किस पर
ध्यान करें? कृपया बताएं।
प भगवान, सत्य कहां है?