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सोमवार, 18 जून 2018

फूल और कांटे--(ओशो का अप्रकासित सहित्य)


ओशो का अप्रकासित सहित्य-


ओशो ने जीवन में जो कुछ भी कहां बोल कर कहां, ओर उनकी जितनी भी पूस्तके हम ओर आप ये सारा जगत पढ़ रहा है उसमें उन्होंने 96% बोला है, अब बोले साहित्य के लिए एक तो अवेरनेश इतनी होनी चाहिए की आपने जो बोल दिया उसमें अब कांट-छांट करने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है। ओर सच ओशो ने जीवन में जो बोल दिया उसे काटने ओर छांटनी की बात ही नहीं बचती।
शायद दूनियां में एैसे बुद्ध हुए है परंतु विज्ञानिक प्रगती के कारण हम उन्हें रिकार्ड नहीं कर सकते। तब वह श्रृति ओर स्मृति में संजो कर रखा गया जिसे ज्यादा दिन श्रेष्ठ ओर सत्य बना कर नहीं रखा जा सकता। एक पीढ़ी के बाद दूसरी-तीसरी इस तरह उसमें मिलावट हो ही जाती थी।
ओशो का ऐसा साहित्य जो उन्होंने लिखा था वह या तो पत्र थे या या बहुत पहले उन्होंने उसे बहुत पहले घर या कालेज के दिनों में लिखा था।
जो कभी प्रकाशित नहीं हुए ऐसा ही कुछ सहित्य स्वामी शैलेन्द्र सरसवती (ओशो के छोटे भाई जो अब ओशो धारा के माध्यम से ओशो कार्य कर रहे है) ने मुझे कुछ ऐसा सहित्य भेजा की जिसे मैं आपना भाग्य समझता हूं ओर ओशो ने मुझे इस काबिल समझा। तब मुझे लगा की ये तो सब के पास पहूंचना चाहिए इस लिए उसे आप सब तक पहूंचा रहा हूं।

शायद आप उस साहित्य का सस्सास्वाद लेगे ओर उसमें डूबेंगे। ओर ओशो की उन अनछूई गहराईयों को महसूस करेंगे। एक एक शब्द में ओशो प्रेम रचा बसा है। इनके उन्होंने चित्र भी भेजे है। जो बहुत ही पूराने कागज पर ओशो के मोतियों कि तरह से दिखने वाले शब्द है। मैंने एक बार स्वामी निखलंक (ओशो के भाई) के पास ओशो के लिखे कुछ पत्र देखे थे। ओशो की लेखनी कितनी सुंदर थी। मोनो उन पोस्ट काडों पर किसी ने टाईप कर दिया हो।
आप इन कथाओं का आनंद ले ओर ध्यान में डूबे। स्वामी शैलन्द्र जी को हम सब का प्यार जो अनमोल साहित्य आप लोगो पहुंचाया जिसे उन्होंने 50 साल से अधिक संजो के अपने ह्रदय के पास रखा।
स्वामी आनंद प्रसाद मनसा

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