दिनांक 9 जनवरी 1972, प्रात:
माथेरान।
सूत्र :
कथं बन्ध: कथं मोक्ष: का विद्या काऽविद्येति।
जागत्स्वपनसुषुप्तितुरीयं च कथम्।
अन्नमयप्राण मयमनोमयविज्ञातमय आतंद्मयकोशा: कथम्।
कर्ता जीव: पन्चवर्ग: क्षेब्रज्ञ: साक्षी कुटस्थोsन्तर्यामी कथत्।
प्रत्यगामा परमात्मा माया चेति कथम्।। 1।।
बंधन क्या? मोक्ष क्या? विद्या और अविद्या क्या?
जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति औन तुरिय--ये चार अवस्थाएं क्या हैं?
अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय और आनंदमय, ये पांच कोश क्या हैं?
कर्ता, जीव, पंचवर्ग, क्षेत्रज्ञ, साक्षी, कुटस्थ और अंतर्यामी का अर्थ क्या है?
इसी प्रकार जीवात्मा, परमात्मा और माया--ये तत्व क्या हैं?