ज्योतिष: अद्वैत का विज्ञान—8(अन्तिम)
ज्योतिष
सिर्फ नक्षत्रों का अध्ययन नहीं हे। वह तो है ही वह तो हम बात करेंगे—साथ ही ज्योतिष और अलग-अलग आयामों से मनुष्य के
भविष्य को टटोलने की चेष्टा है कि वह भविष्य कैसे पकड़ा जा सके। उसे पकड़ने के
लिए अतीत को पकड़ना जरूरी है। उसे पकड़ने के लिए अतीत के जो चिन्ह है, आपके
शरीर पर और आपके मन पर भी छुट गये है। उन्हें पहचानना जरूरी हे। और जब से ज्योतिषी शरीर के चिन्हों पर बहुत
अटक गए है तब से ज्योतिष की गिराई खो गई है, क्योंकि शरीर
के चिन्ह बहुत उपरी है।
आपके
हाथ की रेखा तो आपके मन के बदलने से इसी वक्त भी बदल सकती हे। आपके आयु की जो
रेखा है, अगर आपको भरोसा दिलवा दिया जाए हिप्रोटाइज करके की आप पन्द्रह
दिन बाद मर जाएंगे और आपको रोज बेहोश करके पन्द्रह दिन तक यह भरोसा पक्का बिठा
दिया जाए की आप पन्द्रह दिन बाद मर जाओगे, आप चाहे मरो या न
मरो, आपके उम्र की रेखा पन्द्रह दिन के समय पहुंचकर टूट जाएगी।
आपकी अम्र की रेखा में गैप आ जाएगा। शरीर स्वीकार कर लेता है कि ठीक है, मौत आती है।